Mahatma Mandhi Thoughts in Hindi 3




1.कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा है।


2.भगवान कभी कभी सम्पूर्ण रूप से मदद नहीं करते जिन्हें वे आशीर्वाद देने की छह रखते हैं।


3.अहिंसा को दो प्रकार से विश्वास की जरूरत होती है, भगवन पर विश्वास और मनुष्य पर विश्वास।


4.निजी जीवन की पवित्रता एक ध्वनि शिक्षा के निर्माण के लिए एक अनिवार्य शर्त है।


5.सभी धर्मों का सार एक है। केवल उनके दृष्टिकोण अलग हैं।


6.थोडा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है।


7.प्रक्रिया प्राथमिकता व्यक्त करती है।


8.आदमी की जरूरत के लिए नहीं बल्कि आदमी के लालच के लिए दुनिया में एक निर्भरता है।


9.मौन सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।


10.महिला का वास्तविक आभूषण उसका चरित्र, उसका पवित्रता है।


11.हमारे निजी राय हो सकते हैं परन्तु वह दो दिलों के बिच आने का विषय क्यों बनें।


12.आप जो भी करते है आपको तुच्छ लग सकता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप कर सकते हैं।


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13.जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो- हमेशा।


14.भगवान का कोई धर्म नहीं है।


15.ईमानदार असहमति अक्सर प्रगति का एक अच्छा संकेत है।


16.व्हाले ही आप एक अल्पसंख्यक हैं, सच तो सच ही है।


17.मैं किसी को भी अपने गंदे पाँव के साथ मेरे मन से नहीं गुजरने दूंगा।


18.मैं पश्चिमी सभ्यता के बारे में क्या सोचता हूँ ? मैं सोचता हूँ यह बहुत ही अच्छा विचार है।


19.मैं तुम्हे शांति का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हे प्रेम का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हारी सुन्दरता देखता हूँ। मैं तुम्हारी आवश्यकता सुनता हूँ। मैं तुम्हारी भावना महसूस करता हूँ।


20.मैं मरने  के लिए तैयार हूं, लेकिन यहाँ कोई कारण नहीं है जिसके लिए मैं मरने के लिए तैयार हूँ।


21.हम जो दुनिया के जंगलों के साथ कर रहे हैं वो कुछ और नहीं बस उस चीज का प्रतिबिम्ब है जो हम अपने साथ और एक दूसरे के साथ कर रहे हैं।


22.स्वस्थ असंतोष प्रगति के लिए प्रस्तावना है।


23.विभाजन बुरा है। लेकिन जो कुछ अतीत है अतीत है। हम भविष्य की ओर देखने के लिए ही मजबूर है।


24.नैतिकता युद्ध में वर्जित है।

– महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi)

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